Monday, January 10, 2011

Despite ban, elephants still tradable cattle in Haryana : Naresh Kadyan raised this issue

Despite a ban on elephant trading, jumbos can be bought and sold in Haryana thanks to loopholes in the state's Village Cattle Fair Act (1970).

The act, amended twice, continues to have elephants on its list of tradable animals at rural cattle fairs.

The state act violates the Wildlife Protection Act (1972) that puts elephants in the protected category and bars their domestication. The definition of tradable cattle in Haryana includes buffaloes, camels, cows, donkeys, elephants, horses and mules.

The WWF considers the Indian elephant - numbered around 25,000 - endangered. The Asian Elephant Specialist Group, however, declared it endangered in 1996.

The procedure for trading is simple. The traders need to register themselves at cattle fairs, pay a fee, sell elephants and pay some commission to the fair organisers
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Ban Elephant Sale Purchase in Haryana - Sukanya Kadyan


'चल-चल-चल मेरे हाथी, ओ मेरे साथी' गाने को हरियाणा में कोई भी साकार कर सकता है। वह भी बाकायदा इसकी खरीद-फरोख्त करके। इसकी वजह प्रदेश में हाथी की गिनती गधे-घोड़ों की श्रेणी में होना है। यानी, देश का राष्ट्रीय धरोहर पशु घोषित किया हुआ हाथी हरियाणा में कोई भी व्यक्ति खरीद सकता है और कोई भी बेच सकता है। यही नहीं, हाथी की खरीद-फरोख्त पर कमीशन का भुगतान भी एक नंबर में ही किया जा सकता है।

पूरे देश में हाथी की खरीद-फरोख्त पर प्रतिबंध है। लेकिन, हरियाणा इस प्रतिबंध से मुक्त है। यह हम नहीं कह रहे, प्रदेश का ग्रामीण पशु मेला अधिनियम 1970 कह रहा है। हालांकि, इसमें दो बार संशोधन भी किया गया, लेकिन हाथी को अभी तक गधे-घोड़ों की श्रेणी में ही रखा गया है। एक्ट के मुताबिक हाथी व्यापार किए जाने वाले पशुओं की श्रेणी में शुमार है। प्रदेश का यह अधिनियम देश के वाइल्ड लाइफ प्रोटेक्शन एक्ट 1972, जिसमें हाथी को संरक्षित श्रेणी में रखा गया है, की उल्लंघना करता दिखाई देता है।

ग्रामीण पशु मेला अधिनियम में व्यापार योग्य पशुओं की जो परिभाषा दी गई है, उसके मुताबिक भैंस, गाय, गधा, हाथी, घोड़ा व अन्य पालतु पशुओं की खरीद फरोख्त की जा सकती है। जबकि, केंद्रीय एजेंसियां देश में हाथियों की संख्या करीब 25000 बताते हुए इसे राष्ट्रीय धरोहर पशु का दर्जा दिलवा चुकी हैं। यही नहीं एशियन एलीफेंट स्पेशलिस्ट ग्रुप ने 1996 में ही हाथी को तेजी से सफाये ही ओर चल रहे पशुओं की श्रेणी में बताया था। इसके बावजूद अधिनियम में स्पष्ट दर्ज है कि कोई भी व्यापारी हाथी को पशु मेले में खरीद-फरोख्त के लिए रजिस्टर्ड करवा सकता है। निर्धारित फीस जमा करवा कर हाथी को बेचा जा सकता है और इसकी खरीद-फरोख्त पर मेला आयोजकों को कमीशन का भुगतान भी करना होगा। दूसरी तरफ प्रदेश के अफसर खुद को इस बात से अंजान बताते हैं। पंचायत विकास विभाग के प्रधान सचिव पी राघवेंद्र राव कहते हैं कि मामला उनकी जानकारी में नहीं है। अभी तक किसी ने इस मुद्दे को उठाया भी नहीं है। अगर, हाथी वास्तव में व्यापार योग्य पशुओं की श्रेणी में है, तो अधिनियम में संशोधन कर इसे इस श्रेणी से बाहर निकाला जाएगा।

दूसरी तरफ पीपल फार एनीमल हरियाणा के चेयरमैन नरेश कादियान कहते हैं कि वे बार-बार इस मसले को अधिकारियों के समक्ष उठा चुके हैं। जब अधिकारियों ने कोई सुनवाई नहीं की तो उन्होंने पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की है। ताकि, प्रदेश में हाथी के व्यापार पर प्रतिबंध लगवाया जा सके।